अक्सर लोग मंदिर की गलत दिशा चुन लेते हैं, जिससे जीवन में परेशानियां आ सकती हैं। सही दिशा में मंदिर बनाना शुभ और समृद्धि लाता है। आइए जानते हैं कि किस दिशा में मंदिर बनाना चाहिए?
घर में किसी भी चीज का निर्माण करते समय वास्तु के नियमों का ध्यान रखना चाहिए। इन नियमों का पालन न करने से व्यक्ति को वास्तु दोष का सामना करना पड़ सकता है।
मंदिर में पूजा-पाठ करते समय दिशा का विशेष महत्व होता है। अगर मंदिर गलत दिशा में बना हो, तो पूजा का फल प्राप्त नहीं होता। इसलिए पूजा करते समय हमेशा दिशा का ध्यान रखना चाहिए, ताकि शुभ परिणाम मिल सकें।
घर में मंदिर बनाते समय दिशा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। मंदिर को पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में बनाना अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर में शांति और समृद्धि बनी रहती है।
घर की पूर्व दिशा में मंदिर बनाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे घर का माहौल शांति और सुख-समृद्धि से भर जाता है।
घर में पूजा करते समय पश्चिम दिशा की तरफ मुख करना शुभ माना जाता है। इससे देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।
दक्षिण दिशा में मंदिर या दीपक नहीं बनाना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि वहां यमराज का वास होता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा आ सकती है और अशुभ प्रभाव हो सकते हैं।
घर की दक्षिण दिशा में मंदिर बनाना अशुभ माना जाता है। इससे व्यक्ति को आर्थिक तंगी और समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस दिशा में मंदिर रखने से बचना चाहिए।